उत्तर प्रदेशराज्य

 राममंदिर के लिए नहीं होगी पिंक स्टोन की किल्लत

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पिंक स्टोन की कमी अब जल्द ही दूर हो जाएगी। राजस्थान सरकार के प्रस्ताव पर भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर इलाके के 645 हेक्टेयर संरक्षित वनक्षेत्र में पिंक स्टोन के खनन के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सहमति दे दी है। पहाड़पुर वन एवं बन्धवारैठा वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्र के 398 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खनन के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर अनिवार्य सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं।

भरतपुर में खनन को मिली मंजूरी

मंदिर निर्माण में भरतपुर के बंशी पहाड़पुर क्षेत्र की पत्थर खदानों का पिंक पत्थर ही इस्तेमाल किया जा रहा है। राम मंदिर के निर्माण ने उधर गति पकड़ी और इधर राजस्थान राज्य सरकार ने अवैध खनन के खिलाफ अभियान चलाया तो पिंक स्टोन की उपलब्धता बाधित होने लगी। दिसंबर 1996 तक बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में 42 वैध खदानें चल रहीं थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद संरक्षित वन क्षेत्र में गैर वन गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया गया था। फिलहाल ताजा जरूरतों को देखते हुए यहां खनन की अनुमति दी जा रही है। हालांकि, किसी भी आदेश में राम मंदिर के लिए पत्थरों की जरूरत का जिक्र नहीं है, लेकिन जिस तरह से यह पूरा घटनाक्रम हुआ है, उससे इसे अयोध्या के राम मंदिर से जोड़कर देखा जा रहा है। रिकॉर्ड पर खनन की अनुमति राज्य सरकार को राजस्व और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के आशय से दी गई है।माना जा रहा है कि बरसात के बाद डेढ़ दर्जन से ज्यादा खदानों में खनन प्रारंभ हो जाएगा।राम मंदिर निर्माण के रणनीतिकारों ने मंदिर को सदियों तक सुरक्षित रखने के खास आशय से रूपवास (बयाना) तहसील के बंशी पहाड़पुर की खदानों के गुलाबी पत्थरों का चयन किया है। माना जाता है कि यह पत्थर पांच हजार साल से भी ज्यादा समय तक सुरक्षित रह सकता है। वक्त बीतने के साथ-साथ इसके रंग और चमक में और निखार आता है

Related Articles

Back to top button