अभिभावकों को है कोरोना का डर
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : भारत सरकार ने 15 अक्टूबर के बाद स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है। अभी अटेंडेंस को लेकर कोई हायतौबा नहीं मचेगी। हालांकि, छात्र को अपने अभिभावक की लिखित अनुमति के साथ ही स्कूल आना होगा। सरकार चाहती है कि ऑनलाइन मोड से पढ़ाई को प्राथमिकता दी जाए। यह भी कहा गया है कि अगर छात्र ऑनलाइन पढ़ना चाहते हों तो स्कूल को इसकी अनुमति देनी होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किए गए हैं। इसके बाद राज्य सरकारें भी अपना SOP जारी कर रही है। इन सब के बावजूद अभिभावकों में अभी भी कोरोना संक्रमण को लेकर डर बना हुआ है।
पंजाब के लुधियाना के एक अभिभावक का कहना है कि मैं भारत सरकार के आदेश का स्वागत करता हूं। लेकिन मैं उनसे पुनर्विचार करने की अपील भी करता हूं। अभिभावकों का कहना है कि देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में स्कूल के माहौल में शारीरिक दूरी बनाए रखना और सरकार के नियमों का पालन करना असंभव होगा
छोटे स्कूलों के पास संसाधनों की कमी। सैनिटाइजेशन, एक-एक बच्चे की थर्मल स्कैनिंग करना होगा मुश्किल।
– बच्चों के ट्रांसपोर्टेशन में आएगी समस्या। बसों, वैन, स्कूल रिक्शों में सामाजिक दूरी का ध्यान रखना होगा चुनौतीपूर्ण।
– सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्रशासनिक लापरवाही की रहेगी आशंका, हर स्कूल की मॉनिटरिंग करना भी होगा मुश्किल।
– स्कूल खुलने से लेकर इंटरवल और छुट्टी के वक्त बच्चों की भीड़ को मैनेज करना आसान नहीं होगा।
4 से 8 घंटे की पूरी क्लास के दौरान बच्चों का मास्क लगाकर बैठना भी होगा मुश्किल।
पैरंट्स में भी है कोरोना का डर
पैरंट्स का कहना है कि स्कूल उन्हें भरोसा दे रहे हैं कि छात्रों की सुरक्षा के लिए हर तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। यह सच है कि स्कूलों में छात्रों के लिए अच्छी तैयारी की गई है। लेकिन कोरोना वायरस का डर अभी भी है। कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और यह हमें डरा रहा है।