लखनऊ का श्रवण साहू मर्डर केस
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:कारोबारी श्रवण साहू की हत्या के मामले में लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के साथ तत्कालीन डीएम गौरीशंकर प्रियदर्शी भी सीबीआई की जांच में लापरवाही के दोषी पाए गये हैं। सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने उनके खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही शुरू करने की राज्य सरकार से सिफारिश की है। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि जीएस प्रियदर्शी ने डीएम रहने के दौरान श्रवण साहू को सुरक्षा मुहैया कराने की फाइल को लटकाए रखा जबकि बाकी मामलों में वह फाइल पर अपनी स्वीकृति प्रदान करते रहे। जब सीबीआई ने उनसे इस बारे में पूछताछ की तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
तत्कालीन सीओ एलआईयू भी पाए गए दोषी
सीबीआई ने इस मामले में तत्कालीन सीओ एलआईयू एके सिंह को भी दोषी पाया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने श्रवण साहू के बेटे की हत्या के बाद उन पर भी जान का खतरा होने के बावजूद सुरक्षा देने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए और फाइल को लटकाए रखा। जब सीबीआई ने उनसे पूछताछ की तो उन्होंने पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया था। अधिकारियों की इस लापरवाही की वजह से अपने बेटे के हत्यारों के खिलाफ पैरवी कर रहे श्रवण साहू को भी बदमाशों ने उनकी दुकान में घुसकर गोलियों से भून दिया। मालूम हो कि हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई श्रवण साहू हत्याकांड की जांच कर रही है।
श्रवण साहू की हत्या 1 फरवरी 2017 को उनके घर के सामने गोली मारकर कर दी गई थीं। वह अपने बेटे की हत्यारों के खिलाफ अदालत में लड़ रहे थे। श्रवण के बेटे आयुष साहू की हत्या वर्ष 2016 में कर दी गई थी, जिसके वह इकलौते गवाह थे। आयुष की हत्या में पुलिस कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी। उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं उन्होंने लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी से सुरक्षा की गुहार लगाई थी, लेकिन उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई और बदमाशों ने उनकी हत्या कर दी थी।