उद्यमियों ने बजट में मांगा विशेष पैकेज
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:मंगलवार को प्रस्तुत होने वाले नए बजट पर यदि उद्यमियों की राय लें, तो उनको केंद्र सरकार से एक विशेष पैकेज की दरकार है। कोरोना के तीन लहरों को झेल चुके उद्यमी केंद्र सरकार से बड़ी आस लगाए बैठे हैं, जो उनको अब तक नहीं मिल पाई है। बात यदि एमएसएमई की करें तो उनके हालात बद से बदतर हो चुके हैं। मार्केट में डिमांड घटती जा रही है और ऐसे में कारोबार को बढ़ाना और पिछले कर्ज को चुकाना अपने आप में हर दिन एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इसको लेकर औद्योगिक संगठनों से जब बात की गई तो उन्होंने लगभग एक ही बात कही कि केंद्र सरकार को इस तरफ सहानुभूति पूर्वक ध्यान देना चाहिए। उसकी बड़ी वजह भी है कि एमएसएमई उद्योग ही देश में रोजगार देने का सबसे बड़ा कारण होते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाने वाला यह चौथा बजट होगा। उद्यमी ग्रहणी वेतन भोगी सहित समाज का प्रत्येक वर्ग बजट में अपने लिए सहूलियतें तलाशेगा। महामारी के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खुल गई इसलिए उम्मीद है कि यह बजट स्वास्थ्य क्षेत्रक को सौगातें देगा। पांच राज्यों में आने वाले समय में चुनाव है ऐसे में सरकार महंगाई के नियंत्रण के लिए भी कुछ उपाय कर सकती है।
स्वास्थ्य क्षेत्र पर पैसे की बारिश की उम्मीद
कारोबारी सुनील वैश्य का मानना है कि कोरोना का हाल में जिस तरह से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोली है। उसे देख कर लगता हैं कि इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर विशेष मेहरबानी होगी। उम्मीद की जा रही है कि बूस्टर डोज के लिए भी अच्छा खासा पैकेज दिया जा सकता है।
एमएसएमई सहित रोजगार परक योजनाओं की उम्मीद
प्रोविंशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (पीआईए) के सेक्रेटरी अतुल सेट का मानना है कि कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था की चाल को मंद कर दिया है। अब देश की इकोनामिक ग्रोथ को बढ़ाने के लिए बजट से कई उम्मीदें होंगी। जिस तरह से कई उद्योग धंधे मंदी की चपेट में आकर बंद हो गए ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सरकार एमएसएमई और रोजगार परक उद्योगों के लिए कोई विशेष पैकेज ला सकती है।
पेट्रोल डीजल के जीएसटी में शामिल होने की आस
चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रवीण सिंह मानते हैं कि आने वाले बजट में सरकार महंगाई से राहत दे सकती है। पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तो आमजन के लिए राहत की बात होगी। संभावना जताई जा रही है कि आयकर की स्लैब में भी कुछ परिवर्तन किया जा सकता है ।