अन्धविश्वास की खातिर पर की हदें
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :देश में कोरोना की दूसरी लहर कुछ कमजोर हुई है। अब तीसरी लहर की आशंका है और उससे निपटने की तैयारियां शुरू हो गई है। वैक्सीनेशन भी तेजी से किया जा रहा है। लेकिन इससे इतर कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में अंधविश्वास भी खूब दिखाई दे रहा है। कहीं लोग हवन की धूनी जमा रहे हैं तो कहीं नदियों के किनारे अर्पण किया जा रहा है। कहीं पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर ऑक्सीजन लेवल सुधारा जा रहा है। यह कहानी सिर्फ एक शहर की नहीं है, बल्कि कई जिले में देखने को मिल रही है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर अंधविश्वास के सहारे कोरोना कैसे भागेगा? वह भी तब जब यूपी के गांव में टीकाकरण का विरोध बड़े पैमाने पर हो रहा है। यूपी के 4 जिलों से पढ़िए अंधविश्वास के सहारे कैसे कोरोना भगाया जा रहा है।
चंदौली के अलीनगर वार्ड में स्थित काली मंदिर परिसर में रविवार को भगवान कृष्ण की पूजा की गई। मुख्य रूप से यह पूजा यदुवंशी करते हैं। इसमें भगवान कृष्ण और बलदाऊ की पूजा होती है। इसमें गोबर के उपलों को जलाकर मिट्टी के मटके में दूध की खीर बनाई गई। इस खौलती खीर से पुजारी ने नहाया।
मान्यता है कि जब भक्तों की मदद के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब कई तरह की लीला उस समय हुई थी। उस समय लोगों ने मां दुर्गा को शक्ति रूपेण मानकर भगवान कृष्ण और बलदाऊ को खीर चढ़ाई थी। तब से यह परंपरा चली आ रही है। इसमें भक्त खीर का भोग लगाकर अपने शरीर पर लगाते हैं।
पूजा करने वाले सरजू यादव ने बताया कि दैवीय आपदा में भगवान को ही याद किया जाता है। अभी भी कोरोना के रूप में मानवों के सामने दैवीय आपदा ही आई हुई है। ऐसे में हम रूठे हुए अपने इष्ट को मनाने का प्रयास कर रहे हैं।