उत्तर प्रदेशराज्य

क्या है 22 मरीजों के दम घुटने का सच

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :आगरा के पारस अस्पताल में 26 अप्रैल को सुबह सात बजे पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन बंद कर मॉकड्रिल की गई थी। उस भयावह पल को बयान करते छह मिनट के चार वीडियो वायरल हुए हैं। इनमें पारस अस्पताल के संचालक अरिंजय जैन बता रहे हैं कि इस मॉकड्रिल से 22 मरीजों का दम घुटने लगा था और उनके हाथ-पैर नीले पड़ गए थे। इस दौरान अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे। वीडियो वायरल होने के बाद डीएम प्रभु एन. सिंह ने जांच कराने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में चार की मौतें हुईं थीं, मामले की न्यायिक जांच कराई जाएगी। फिलहाल पारस अस्पताल के वायरल वीडियो ने पूरे शहर में खलबली मचा दी है।

                                        आगरा के पारस अस्पताल का मामला

डॉ. अरिंजन जैन: मेरे पास ट्रेडर का फोन आया। संभवी वाले का… कहां हो बॉस आप कहां हो.. मैंने कहा-राउंड ले रहा हूं। उसने कहा-राउंड लेते रहना, हम मिलने आ रहे हैं। मैंने पूछा क्या हो गया। वह बोले-अरे नहीं, बॉस कत्ल की रात है। मुझे लगा कोई कांड हो गया ऑक्सीजन का। 12 बजे वह आया।

उसने कह दिया सर सुबह तक का माल है। मोदी नगर ड्राई हो गया। गाजियाबाद ड्राई हो गया। दिल्ली से गाड़ी आ नहीं रही। माल नहीं आ पाएगा। मैंने कहा-कैसी बात करते हो ऑक्सीजन नहीं मिलेगी क्या, उसने कहा-कहां से मिलेगी। डीएम साहब ऑक्सीजन नहीं देंगे, कहां से देंगे। हम तो उसकी (ट्रेडर) बात को हल्के में ले रहे थे। आधा घंटा तो स्वीकार करने में लगा कि ऐसी घटना भी हो सकती है आगरा में कल। मरीज भर्ती थे 96… मेरे पास 12 घंटे का समय था।

डॉ. अरिंजन जैन : मेरे पास 12 घंटे का समय था, या ये सब मर जाएंगे या इन्हें रेफर कर दो। दिमाग बिल्कुल खत्म, कोई रास्ता दिखा ही नहीं। एक घंटे तक वार्डों में फोन किया कि कैसे बचें ये मरीज। रात एक बजे एक पत्र लिखा तीमारदारों के लिए आवश्यक सूचना। कि आगरा में पावर सप्लाई ऑक्सीजन की खत्म हो गई है।
मरीजों के तीमारदार कहीं से इंतजाम कर लें। सुबह 10 बजे तक समय है। पत्र दिया नरेंद्र, गौरव चौहान को, लालजीत को। कहा कि सभी मरीजों को पढ़ा के आओ। नोटिस चस्पा करते तो वायरल हो जाता। ढाई बजे रात में हड़कंप। हॉस्पिटल के बाहर तीमारदार इकठ्ठा हो गए।

दूसरा शख्स: जीवन ज्योति में तो खूब मारपीट हुई।
डॉ. अरिंजन जैन : अरे नहीं मेरे यहां कोई घटना नहीं हुई है। मैं रिसेप्शन पर आया। सभी लोग लॉबी में खड़े थे। लोगों को समझाया तो लोग बोले कि हम जिएं या मरें कहां जाएंगे। सभी ने जाने से इनकार कर दिया।

डॉ. अरिंजन जैन : इसके बाद फैसला हो गया कि कोई कहीं नहीं जाएगा। हमने कहा, इतना बड़ा कांड हो गया, लास्ट ईयर कांड तो कुछ भी नहीं था। अब लिखा जाएगा कि पारस में 96 मरीजों की मौत। दूसरे शख्स ने कहा-मौत का मंजर देखने को मिलेगा। अब तो हो गया खेल खत्म। अब कैरियर भी खत्म। 304 लिखवाएंगे पत्रकार, मानेंगे नहीं। जेल भी होगी। आखिरी रात है, क्या करते फिर से मैंने ऑक्सीजन का ग्रुप पकड़ा। उस पर एक बड़ा पत्र डाला।

अपनी मजबूरी लिखी। मैंने पत्र डाला कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है। मैंने त्यागी वेंडर्स आदि से मदद मांगी। कुछ लोगों के रिप्लाई आया। एक ने 5 सिलेंडर देने की बात कही। मैंने कहा इससे क्या होगा। दो लाख, पांच लाख, दस लाख की गाड़ी ले लो, लेकिन सिलिंडर दे दो। भोपाल या कहीं से भी दिलवाओ। जिंदगी बचानी थी, कैरियर बचाना था। मैंने कहा-सोने का भाव लगा दो, टैंकर खड़ा करो। कैसे भी खड़ा करो। मुख्यमंत्री भी सिलिंडर नहीं दिलवा सकता था।

डॉ. अरिंजन जैन : मैंने आईएमए के संजय चतुर्वेदी को फोन किया। वह बोले-बॉस कि आप मरीजों को समझाओ, डिस्चार्ज करना शुरू करो। ऑक्सीजन कहीं नहीं है। मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन नहीं मंगा सकता। मोदीनगर ड्राई हो गया है। मेरे तो हाथ-पांव फूल गए। कुछ लोगों (मरीजों के परिवार वालों को) को व्यक्तिगत समझाना शुरू किया।

कहा- समझो बात को। कुछ पेंडुलम बने रहे.. नहीं जाएंगे… नहीं जाएंगे। कोई नहीं जा रहा है। फिर मैंने कहा दिमाग मत लगाओ अब वो छांटो जिनकी ऑक्सीजन बंद हो सकती है। एक ट्रायल मार दो। पता चल जाएगा कि कौन मरेगा कौन नहीं। मॉकड्रिल सुबह 7 बजे की। शून्य कर दिए… 22 मरीज छंट गए, 22 मरीज। नीले पड़ने लगे हाथ पैर, छटपटाने लगे, तुरंत खोल दिए।

दूसरा शख्स : कितने देर की मॉकड्रिल थी।
डॉ. अरिंजय जैन : 5 मिनट की मॉकड्रिल थी, इसके बाद तीमारदारों से कहा कि अपना-अपना सिलिंडर लेकर आओ। सबसे बड़ा प्रयोग यही रहा।

 

 

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