जयललिता की करीबी ने राजनीति से लिया संन्यास
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियानों की शुरुआत के बीच एक बड़ा सियासी उलटफेर सामने आया है। अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता वीके शशिकला ने बुधवार को राजनीति से दूर रहने की घोषणा की। शशिकला ने बयान जारी कर कहा कि वह राजनीति छोड़ रही हैं। हालांकि उन्होंने अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में एकजुट रहें और प्रतिद्वंद्वी पार्टी द्रमुक की हार सुनिश्चित करें।

एक बयान जारी कर शशिकला ने कहा कि उन्होंने खुद को राजनीति से अलग कर लिया है और जयललिता के स्वर्णिम शासन के लिए प्रार्थना करती हैं। उन्होंने कहा कि वह हमेशा जयललिता के सपने पूरे होने की प्रार्थना करती रहेंगी। शशिकला ने कहा कि उन्हें न पद की लालसा है और न ही अधिकारों की। उन्होंने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मेहनत से काम करना चाहिए कि द्रमुक सत्ता में नहीं आने पाए।
शशिकला ने कहा कि मैं जयललिता के सपनों को पूरा करते हुए अपना जीवन बिताना चाहूंगी। उन्होंने विधानसभा चुनावों में अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं को एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि हम सभी को सुनिश्चित करना होगा कि तमिलनाडु में एमजीआर का शासन जारी रहे। अम्मा (जयललिता) ने कहा था कि डीएमके और उसके सहयोगी दुष्ट ताकते हैं जिनको हराने के लिए काम किया जाना चाहिए।
शशिकला भ्रष्टाचार के मामले में चार साल की सजा काटने के बाद इस साल 27 जनवरी को जेल से रिहा हुई थीं। माना जा रहा था कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल से निकलने के बाद वह तमिलनाडु की राजनीति में आकर जयललिता की विरासत को संभालेंगी। तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला का काफी असर माना जाता रहा है। उनकी रिहाई से तमिलनाडु में सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया था लेकिन अब उनके इस्तीफे से सूबे में नया राजनीतिक समीकरण बनने की उम्मीद है।
अन्नाद्रमुक अभी तक शशिकला और उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरन के नेतृत्व वाले एएमएमके को पार्टी में समायोजित करने या उसके साथ गठबंधन करने से इन्कार करती रही है। तमिलनाडु में छह अप्रैल से चुनाव होंगे जबकि दो मई को मतों की गिनती की जाएगी। तमिलनाडु में विधानसभा की 234 सीटे हैं। मौजूदा विधानसभा में अन्नाद्रमुक (AIADMK) के पास 136 विधायक हैं।