उत्तर प्रदेशराज्य

उत्तराधिकार दर्ज करने को महाअभियान

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :समस्त ग्रामों में निर्विवाद उत्तराधिकार को खतौनियों में दर्ज करने के लिये राजधानी में 15 फरवरी तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस बारे में डीएम ने दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। निर्धारित समय के बाद अगर एक भी मामला लंबित रहा तो फिर संबंधित अफसर के खिलाफ सख्त करवाई होगी। डीएम अभिषेक प्रकाश के मुताबिक वरासत के प्रकरणों में समय से कार्यवाही ने होने से न केवल विधिक उत्तराधिकारी अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं, अनावश्यक विवाद भी उत्पन्न होते हैं परिणाम स्वरूप असामाजिक तत्वो और भू-माफियाओं द्वारा भूमि पर अवैध कब्जे का प्रयास किया जाता है, जिससे कभी-कभी कानून व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

अभियान की समाप्ति पर जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक लेखपाल राजस्व निरीक्षक तहसीलदार तथा उप जिलाधिकारी से इस आशय का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जायेगा कि उनके क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित राजस्व ग्रामों में निर्विवाद उत्तराधिकार का कोई भी प्रकरण दर्ज होने से अवशेष नहीं है।

प्रशासन द्वारा उत्तराधिकारियों के नाम खतौनियों के दर्ज करने के लिय 15 दिसबर से 15 फरवरी, तक दो माह का विशेष अभियान चलाया जाएगा। आवेदक द्वारा प्रार्थना पत्र/रिपोर्ट दिये जाने की स्थिति में आवेदक स्वयं ऑनलाइन अथवा जनसेवा केन्द्र पर प्रार्थना पत्र भरने के लिए राजस्व परिषद की वेबसाइट bor.up.nic.in के मुखपृष्ठ पर दिये गये राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली लिंक पर उपलब्ध उत्तराधिकार/वरासत हेतु आवेदन लिंक पर जाकर अपना मोबाइल नम्बर अंकित करेगा, तत्पश्चात् मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी को भरकर अपना एक बार पंजीकरण करेगा तथा वांछित सूचनाएं पोर्टल पर भरेगा।

लेखपाल द्वारा रिपोर्ट दिये जाने की स्थिति में लेखपाल द्वारा अपनी लाॅगिन आइडी से उत्तराधिकार/वरासत सम्बन्धी विवरण भरा जा सकेगा। आवेदन तथा लेखपाल द्वारा प्रार्थना पत्र भरे जाने के पश्चात् सबमिट करते ही आवेदन क्रमांक स्वतः जनरेट हो जायेगा तथा सम्बन्धित राजस्व ग्राम के हल्का लेखपाल और सम्बन्धित राजस्व निरीक्षक के लाॅगिन आईडी पर स्वतः प्रेषित हो जायेगा।

ऐसे काश्तकारों के लिये जो सामान्यतः ग्रामों में निवास नहीं कर रहे हैं या जिनका निर्धारित दिवस पर राजस्व ग्रामों में पहुंचना सम्भव न हों, उनके लिये प्रत्येक तहसील में एक काउण्टर खोलते हुये अविवादित वरासतों को दर्ज करने हेतु प्रार्थना पत्र प्राप्त किये जायें। उनकी सहायता के लिये हेल्प-लाईन तथा जन सुविधा केन्द्रों का भी उपयोग किया जाये।

अभियान की समाप्ति पर जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार तथा उप जिलाधिकारी से इस आशय का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जायेगा कि उनके क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित राजस्व ग्रामों में निर्विवाद उत्तराधिकार का कोई भी प्रकरण दर्ज होने से अवशेष नहीं है। अभियान के बाद प्रत्येक तहसील के दस प्रतिशत राजस्व ग्रामों को रैण्डमली चिन्हित करते हुये उनमें अपर जिलाधिकारियों, उप जिलाधिकारियों व अन्य जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा इस तथ्य की जांच करायी जायेगी कि निर्विवाद उत्तराधिकार का कोई प्रकरण दर्ज होने से बचा नहीं है।

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