अस्पताल में दवाओं की कमी पर डिप्टी सीएम ने दिया जवाब
स्वतंत्रदेश ,लखनऊउत्तर प्रदेश की बदलती सेहत सत्र में के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि 2017 के बाद से अब तक यूपी का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से बदल गया है। सबसे पहले मैं मेडिकल एजुकेशन की तरफ आऊंगा। जब 2017 में हमें काम करने का अवसर मिला, हमारे पास 12 मेडिकल कॉलेज सरकारी क्षेत्र में थे। निजी क्षेत्र में भी कुछ मेडिकल कॉलेज थे। हमारे सामने सबसे पहले चिकित्सकों की तैनाती और उनकी उपलब्धता एक बड़ा मुद्दा था। पूरे देश के पैमाने पर इस बात की चर्चा है कि चिकित्सकों की भारी कमी थी लेकिन मैं कह सकता हूं, 2017 से आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में हर जिले में मेडिकल कॉलेज बने उस दिशा में हमारी सरकार ने गंभीर काम किया है। आज 2017 से तुलना की जाए तो 80 मेडिकल कॉलेज पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं और यह कार्य मात्र 8 वर्षों में हुआ। कुछ जिले बचे हैं उन पर भी हम प्रदेश की जनता के समक्ष जाने वाले हैं पीपीपी मोड पर, हमने टेंडर कर दिया है और एग्रीमेंट भी कर दिया है।मेडिकल कॉलेज कोई पॉकेट में रखी हुई चीज नहीं होती। मेडिकल कॉलेज पूरी दुनिया देख रही है, एमबीबीएस की सीटें तीन गुना हुई हैं और इन सीटों को उत्तर प्रदेश सरकार क्रियेट नहीं करती है। नीट की परीक्षा होती है और पूरे देश में एक साथ होती है, हमने इसकी संख्या में तीन गुना की बढ़ोत्तरी की है।

स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जो आवंटित राशि पूरी खर्च नहीं हो पा रही है?
इस सवाल पर डिप्टी सीएम ने कहा कि लोगों को पता नहीं है, जो समाजवादी पार्टी के लोग हैं या अन्य इस प्रकार की जो चर्चा चलाते हैं। हम 60 और 40 के आधार पर काम करते हैं। 60 फीसदी भारत सरकार देती है, 40 फीसदी हम देते हैं। जो भी प्रोजेक्ट का भारत सरकार हमें पैसा भेजती है, उसके लिए 40 फीसदी धनराशि हम आरक्षित बजट में रखते है और ये सभी केंद्रीय योजनाओं में होता है। ये वो पैसा है कि जैसे ही केंद्र सरकार से पैसा आता है, हम अपना 40 फीसदी बजट उसमें मिलाकर काम शुरू कर देते हैं। आज आयुष्मान आरोग्य योजना में नौ हजार करोड़ रुपये का पेमेंट यूपी सरकार ने उन मरीजों के लिए किया है जिनको पांच लाख तक के निशुल्क इलाज के लिए गारंटी दी है। ये 40 फीसदी पैसे वही हैं जो हम अपने सुरक्षित अपनी निधि में रखते हैं।