1.5 करोड़ की पाकिस्तानी प्रॉपर्टी की इन्वेस्टिगेशन
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:यूपी के कानपुर देहात जिले की अकबरपुर तहसील में पड़ता है बारा गांव। ये गांव बीते 2 महीनों से प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है। वजह है, गांव में लावारिस पड़ी 5 एकड़ जमीन, जिसके मालिक पाकिस्तान के रहने वाले 12 परिवार हैं।
16 अप्रैल 2022 को IAS नेहा जैन कानपुर देहात की डीएम बनाई गईं। चार्ज संभालने के महज एक हफ्ते बाद उन्होंने बारा गांव की इन जमीनों की फाइलें फिर से खुलवाईं। रातों-रात जमीनों की नपाई की गई। भूलेख दस्तावेजों को खंगाला गया तो मालिकों के नाम के आगे उनका पता पाकिस्तान लिखा था। लोग अब इस गांव को ‘मिनी-पाकिस्तान’ बुलाने लगे हैं।
कानपुर-इटावा हाइवे से सटा हुआ बारा गांव। यहां रहने वाले 11 हजार लोगों में करीब 85% मुस्लिम आबादी है। यहां के ग्राम प्रधान हैं संतोष गौतम। संतोष जब से बारा गांव के प्रधान बने हैं, उनके सामने इन लावारिस जमीनों का निपटारा करवाना ही सबसे बड़ी चुनौती रही है। संतोष बताते हैं, “गांव में लगभग 12 परिवारों की 5 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। इन खतौनियों में पाकिस्तानियों के नाम बरसों से दर्ज हैं। ये लोग आजादी से पहले यहीं रहते थे। देश के बंटवारे के बाद सभी पाकिस्तान जा बसे।”
संतोष कहते हैं, “इन जमीनों के असल मालिक बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए। फिर आज तक वापस नहीं लौटे। ऐसा भी हो सकता है कि अब इनमें कुछ जिंदा भी न हों। उनकी जमीनें खाली पड़ी हैं। कुछ जमीनों पर तो लोगों ने कब्जा भी कर लिया है, जिसकी शिकायत हमने तहसीलदार साहब से की है।”लेखपाल योगेंद्र सचान ने बताया, “इन जमीनों पर अभी तक किसी ने अपना दावा नहीं किया है। खाली पड़ी कुछ जमीनें हाईवे के एक्सटेंशन में चली गई है। कुछ पर पहले से ही कब्रिस्तान हैं। इसलिए इन संपत्तियों की कुल कीमत का पता फिलहाल नहीं लगाया जा सका है। हालांकि, जमीनों की नांप लेने के बाद आनुमानित कीमत 1 से 1.5 करोड़ रुपए बताई गई है।”