बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर पुलिस का शिकंजा, दोनों बेटों पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित
डालीबाग में हुए अवैध निर्माण के मामले में हजरतगंज में केस दर्ज किया गया था बाद में प्रशासन की ओर से कार्रवाई करते हुए दो टावरों को ध्वस्त कर दिया गया था |पंजाब के रोपड़ जेल में बंद यूपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और उनके दोनों बेटों के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने भी शिकंजा कस दिया है। जेल में बंद मुख्तार मुख्तार का बी वारंट कराने के साथ पुलिस ने दोनों बेटों अब्बास और उमर पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। वहीं, इनाम घोषित होने के बाद दोनों की जल्द गिरफ्तारी की संभावनाएं जताई जा रही हैं। लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे के अनुसार, वारंट बाय नाम की कार्रवाई सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण के मुकदमे में की गई है। गैर जमानती वारंट के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया है।
एलडीए ने 27 अगस्त को केस दर्ज कराया था
हजरतगंज की डालीबाग कॉलोनी में सरकारी जमीन पर कब्जा करके दो टावर का निर्माण कराने के मामले में केस दर्ज किया गया था। एलडीए ने दोनों टावर 27 अगस्त को जमीदोंज कर दिए थे। मामले में जियामऊ के लेखपाल सुरजन लाल ने तीनों के खिलाफ शिकायत की थी। हजरतगंज की एसीपी राकेश मिश्रा का कहना है कि मुख्तार का विवरण तैयार है। कोर्ट के आदेश अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अब्बास के पास से मिले थे विदेशी असलहे
मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा अब्बास नेशनल शूटर है। उसके खिलाफ 12 अक्टूबर 2009 को महानगर कोतवाली में शस्त्र लाइसेंस के मामले में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसकी जांच एसटीएफ ने की थी। लखनऊ पुलिस की एक टीम ने दिल्ली के वसंत कुंज स्थित किराए के मकान पर छापेमारी करके ऑस्ट्रेलिया मेड असलहे बरामद किए थे। अब्बास पर आरोप है कि उसने लखनऊ डीएम की अनुमति के बगैर अपना शस्त्र लाइसेंस दिल्ली के पेपर पर ट्रांसफर करा लिया और वहां पांच असलहे और खरीद लिए थे।
बी वारंट क्या है, कब जारी किया जाता है?
हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी का कहना है कि न्यायालय जिस व्यक्ति को हाजिर करवाना चाहता है, उसके लिए बी वारंट जारी कर सकता है। फिलहाल, इसका कोई भी सेक्शन सीआरपीसी में नहीं है, इसको जारी करने का अधिकार न्यायालय के पास होता है।
न्यायालय उस व्यक्ति को सम्मन जारी करता है, जिसे सम्मन के माध्यम से न्यायालय में हाजिर करवाने का प्रयास किया जाता है। लेकिन यदि व्यक्ति सम्मन से बच रहा है और सम्मन तामील होने के उपरांत भी न्यायालय के समक्ष हाजिर नहीं होता है और न्याय में बाधा बनता है तो ऐसी परिस्थिति में न्यायालय को गिरफ्तार करके अपने समक्ष पेश किए जाने का वारंट जारी करता है।