बच्चों की सेहत से खेल रही थी खिलौना कंपनियां
अगर आप अपने बच्चे के लिए खिलौना खरीद रहे हैं तो यह जरूर देखें कि उस पर बीआईएस मार्क है या नहीं। विदेश से आयात किए जाने वाले और देश में बनने वाले खिलौनों में इस्तेमाल किए जाने वाले खतरनाक रसायन के प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए सरकार ने पहली सितंबर से तैयार होने वाले खिलौने पर बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) मार्क लगाना अनिवार्य किया है। शाहमारुफ और पांडेयहाता स्थित थाेक मंडी में अगले सप्ताह तक बीआईएस मार्क वाले खिलौने पहुंचने की उम्मीद है।
देश में काफी बड़ा है खिलौने का कारोबार
देश में खिलौनों का कारोबार काफी बड़ा है। अधिकतर खिलौने चीन, थाईलैंड और फिलीपींस से आयात किए जाते हैं। आयात किए जाने वाले खिलौनों में 75 फीसदी हिस्सेदारी अकेले चीन की होती है। बीआईएस के मानक अनिवार्य होने के बाद विदेश से आयात किए जाने वाले खिलौनों को भी मानकों पर खरा उतरना होगा। अब तक खिलौनों के लिए गुणवत्ता के मानक अनिवार्य नहीं था। ऐसे में कई कंपनियां खिलौनों में खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल कर रही थीं, जिसका असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा था।
गोरखपुर में खिलौनाें का 75 करोड़ का सालाना कारोबार
गोरखपुर में खिलौनाें का करीब 75 करोड़ का सालाना कारोबार है। आसपास के जिलों के अलावा नेपाल और बिहार के कुछ जनपदाें में खिलौने की आपूर्ति गोरखपुर से होती है। शाहमारुफ के खिलौना कारोबारी इसरार अहमद के मुताबिक गुणवत्ता की जांच न होने की वजह से कई बार बहुत खराब किस्म का खिलौना अा जा जाता था, जिसे मजबूरी में बेचना पड़ता था। बीआईएस मार्क वाले खिलौने दस सितंबर के बाद आने की उम्मीद है। पहली सितंबर से बिना बीआईएस मार्क वाले खिलौनों को मंगाना बंद कर दिया है।
मुलायम खिलौने होते हैं नुकसानदेह
बहुत छोटे बच्चों के लिए लचीले और मुलायम खिलौनों को लोग बेहतर समझकर खरीदते हैं, पर ये अधिक खतरनाक होते हैं। मुलायम प्लास्टिक से बने खिलौनों में ‘थायलेट’ नामक रसायनिक पदार्थ पाया जाता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि थायलेट से बच्चों में कई तरह की बीमारियां होती हैं। इनमें किडनी और लीवर पर बुरा असर पड़ने के साथ बच्चों की हड्डियों के विकास में कमी आती है। आयात किए गए खिलौनों में आर्सेनिक, सीसा और पारा चिंताजनक स्तर से भी काफी अधिक पाया गया था।