तीन साल बाद फिर शुरू होगी तेंदुओं की गणना
स्वतंत्रदेश लखनऊ :उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तीन साल बाद एक बार फिर तेंदुओं की गणना कराने जा रही है। पहली बार तेंदुओं की गिनती जंगल से बाहर नदियों के किनारे और आसपास के टापुओं पर भी होगी। वन विभाग प्रदेश में इस तरह के प्राकृतवासों को चिन्हित कर रहा है। इन्हें और संरक्षित व सुरक्षित किया जाएगा। इस बार ऐसे हॉट स्पॉट तलाशे जाएंगे, जहां मानव-वन्य जीव संघर्ष होते हैं। इन स्थानों पर भी विशेष नजर रखी जाएगी।
उत्तर प्रदेश में तेदुओं की गणना इस बार जंगल के अंदर के साथ बाहर भी होगी। जंगल के बाहर खासकर नदियों के समीप स्थित प्राकृतवास में उन्हें पगमार्ग के जरिये गिना जाएगा। तेंदुओं की असल संख्या की जानकारी मिलने से इनके संरक्षण की कार्ययोजना में मदद मिलेगी। हाल ही में टाइगर रिजर्व के अंदर हुई गणना में प्रदेश के टाइगर रिजर्व में 316 तेंदुए मिले थे। वन विभाग के अफसरों का मानना है कि जितने तेंदुए टाइगर रिजर्व के अंदर मिले हैं, उतने ही जंगल से सटे इलाकों में मिलेंगे। इससे पहले प्रदेश में वर्ष 2018 में तेंदुओं की गणना हुई थी। उस समय 415 तेंदुए मिले थे।
तेंदुए की गणना का तरीका : जीवों की जनगणना ट्रेल सिस्टम से सर्वे होता है। सर्वे का यह तरीका काफी पुराना है। इस सिस्टम के तहत वाइल्ड लाइफ के अधिकारी जीवों के पंजों का आंकड़ा जुटा कर जीवों की संख्या का अनुमान लगाते हैं। कैमरा ट्रैपिंग मैथड में सर्वे के दौरान कैमरा और सेंसर का उपयोग होता है। यह सर्वे वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया करता है। अक्सर सर्वे टीम रात में सेंसर चालू कर देती है। इस दौरान कोई जीव उसके संपर्क में आता है तो उसके बारे में कंप्यूटर पर पता चल जाता है। उसका फोटो भी कैमरे में भी कैद हो जाता है।
देश में 60 फीसद बढ़े तेंदुए : हाल ही जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में तेंदुओं की संख्या 12,852 तक पहुंच गई है, जबकि इसके पहले 2014 में हुई गणना के अनुसार देश में 7,910 तेंदुए थे। इस अवधि में तेंदुओं की संख्या में 60 फीसद बढ़ोतरी हुई है। गणना के अनुसार मध्य प्रदेश में 3,421 तेंदुए, कर्नाटक में 1,783 तेंदुए और महाराष्ट्र में 1,690 तेंदुए, दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा पाए गए हैं।