मोदी करेंगे शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : चार फरवरी, 1922 और दिन था शनिवार। इसी दिन गोरखपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित चौरी चौरा कांड हुआ था। इस घटना की वजह से महात्मा गांधी को असहयोग आंदोलन वापस लेना पड़ा था। तबके इतिहासकारों ने इस घटना को कोई खास तवज्जो नहीं दिया। आजादी के बाद भी किसी ने इतिहासकारों की भूल को सुधारने की कोशिश नहीं की।
चौरी चौरा कांड के सौ वर्ष होने पर पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर शहीदों और उनके परिजनों को वह सम्मान देने जा रही है जिसके वे हकदार हैं। चौरी चौरा शताब्दी वर्ष समारोह चार फरवरी, 2021 से शुरू होकर साल भर चलेगा। इस समारोह का वर्चुअल उद्घाटन गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस दिन पूरे प्रदेश में एक साथ, एक समय पर वंदेमातरम् गूजेगा, जो एक विश्व रिकार्ड होगा। सुबह प्रभात फेरी निकलेगी। शाम को हर शहीद स्थल पर दीप प्रज्ज्वलित किया जाएगा। शहीदों की याद में अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
इतिहास ने की अनदेखी पर लोकगीतों में बने रहे नायक : इतिहासकारों ने भले चौरी चौरा की घटना को कमतर आंका हो, पर स्थानीय लोगों के लिए तो शहादत देने वाले उनके नायक थे। इसी वजह से पूर्वांचल के लोकगीतों में वे अब भी जिंदा हैं। ये लोकगीत घटना के बाद से अब तक जब भी गाए जाते हैं लोग रोमांचित हो जाते हैं। इनमें से ‘कोमल वीर मस्ताना फुंकले चौरी-चौरा थाना…’ बेहद लोकप्रिय था। ‘सहुआकोल में कोमल तपले, फूंकले चौरा थाना, ठीक दुपहरिया चौरा जर गइल, कोई मरम नहीं जाना’ और खूब लड़ाया हम दोनों को, मतलब अपना लिया बनाए… भी कभी-कभी सुनने को मिलती है।