उत्तर प्रदेशकारोबार

बाज़ार से चीन न‍िर्म‍ित उत्पाद को टाटा बाय-बाय

 चीन सामान के खिलाफ होते देशव्यापी विरोध ने प्रदेश के बाजारों से चीनी कॉस्मेटिक्स उत्पादों का बोरिया-बिस्तर बंध चुका हैमहिला वर्ग में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले कॉस्मेटिक्स उत्पाद हो य चीनी खिलौने एक सिरे से नकारा जा रहा है। जागरूकता के बाद चीनी सामान से तौबा करते देख इस बात के पुख्ता आसार दिख रहे हैं कि जल्द ही सौंदर्य प्रसाधन ही नहीं अन्य कारोबार से भी चीन की हिस्सेदारी खत्म होने वाली है। कारोबारी कह रहे हैं कि लोग छोटी- छोटी चीजें खरीदते वक्त पूछने लगे है कि ये मेड इन चाइना तो नहीं। महिला हो या पुरुष वर्ग सभी सामान लेने से पहले ब्रांड कहां का है उस पर ध्यान दे रहे हैं। लोग चीनी उत्पादों से न सिर्फ किनारा काट रहे हैं बल्कि भावनात्मक रूप से भी दूरी बना रहे हैं। राजधानी में करीब 30 करोड़ का होने वाला कॉस्मेटिक्स कारोबार अब घटकर महज पांच से छह करोड़ के बीच रह गया है। प्रदेश में 1500 करोड़ के कारोबार महज 30 फीसद पर सिमट गया है। कारोबारियों ने बीते कई दिनों से चीन निर्मित उत्पाद के आर्डर भी नहीं किये

पहले देखते हैं ब्रांड कहां का

लखनऊ व्यापार मंडल के महामंत्री व इलेक्ट्रॉनिक कारोबारी पवन मनोचा बताते हैं कि अब ग्राहक चीन के माल पर से नजर हटा चुका हैराजधानी में बाहर से खरीदारी करने के लिए आने वाले दुकानदार तक चीन का माल लेने में टाल-मटोल कर रहे हैं। बाजारों की जो रिपोर्ट सामने आ रही है उनमें मेड इन चाइना का माल देखते ही लोग दूसरे उत्पादों को देने को कहते हैं। पवन मनोचा बताते हैं चाइना का जो माल पहले से डंप पड़ा है, उसकी मात्रा भी बहुत सीमित है। कारोबारी किसी तरह बचे हुए माल को सेल कर खुद भी छुटकारा पाना चाहता है। ग्राहकों के रुख को देख कारोबारी चीन के आर्डर रद कर चुके हैं। नया माल नहीं मंगाएंगे।

उत्पादों के आधार पर अभी तक चीनी बाजार की हिस्सेदारी

खिलौना बाज़ार:1200 करोड़ सालाना-सजावटी आइटम:1200 करोड़ सालाना-इलेक्ट्रॉनिक आइटम:1000 करोड़ सालाना-इलेक्ट्रिकल आइटम:1000 करोड़ सालाना-कॉस्मेटिक आइटम: 1000 करोड़ सालाना-एलईडी : 300 करोड़-लैपटॉप व कंप्यूटर: 250 करोड़ सालाना

अवध व्यापार मंडल आशियाना के अध्यक्ष ओपी आहूजा बताते हैं कि ग्राहक तो दूर की बात कारोबारियों ने खुद ही चीन के माल का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। बाजार से नींद का माल लगभग सिमट चुका है। व्यापारी अब चीन निर्मित सामान का ऑर्डर भी नहीं कर रहे। 

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