उत्तर प्रदेशराज्य

श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ईदगाह ट्रस्ट अदालत में पेश होंगे

स्वतंत्रदेश ,लखनऊ :मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 13.37 एकड़ जमीन के स्वामित्व विवाद में आज जिला जज साधना रानी ठाकुर की अदालत में सुनवाई होगी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट, ईदगाह ट्रस्ट के पदाधिकारी और अन्य प्रतिवादी अदालत में पेश होंगे। जन्मभूमि पर मालिकाना हक हासिल करने के लिए 12 अक्टूबर को जिला जज की अदालत में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि जिस जगह ईदगाह मस्जिद है, वहीं कृष्ण जन्मस्थान है।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्था सेवा संघ ने 1968 में मुस्लित पक्ष से समझौता किया था।

सीनियर डिवीजन से खारिज होने के बाद जिला जज के यहां पहुंचा वाद
दरअसल, भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और वकील रंजना अग्निहोत्री समेत आठ वादियों की तरफ से मथुरा की जिला अदालत में केस दाखिल किया गया था। इससे पहले श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से 30 सितंबर को जन्मभूमि पर मालिकाना हक हासिल करने और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में वाद दाखिल किया था। हालांकि अदालत ने यह कहते हुए सुनवाई से इंकार करते हुए दावा खारिज कर दिया गया था कि भक्तों को वाद दायर करने का अधिकार नहीं है। इस आदेश को चुनौती देते हुए वादियों ने जिला जज की अदालत का रुख किया था। जिसे स्वीकार कर लिया गया था। बुधवार को प्रतिवादी अपना पक्ष कोर्ट में रखेंगे।

याचिका में 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया, क्या है ये समझौता?
दरअसल, 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाया गया था। तब तय किया गया था कि वहां दोबारा भव्य मंदिर बनेगा और ट्रस्ट उसका प्रबंधन करेगा। इसके बाद 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्था सेवा संघ नाम से संस्था का गठन हुआ। कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था, लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं।

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