सूंड की दिशा से तय होगा भाग्य
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ । भाग्योदय तथा प्रकाश का पर्व दीपावाली शनिवार को है। इस दिन लोग विशेष प्रार्थना करने के साथ ही भगवान गणेश तथा मां लक्ष्मी की मूर्ति का पूजन कर उनको घर में स्थापित करते हैं। बीते वर्ष की मूर्तियों का विसर्जन भी किया जाता है। मां लक्ष्मी की मूर्ति के इतर भगवान गणेश की मूर्ति खरीदते समय आपको विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। मूर्ति में सूंड की दिशा आपनी दशा व दिशा तो तय कर देगी।
भगवान गणेश सभी देवताओं में प्रथम पूज्य हैं। उन्हेंं ज्ञान और बुद्धि का देवता माना जाता है। यह ऐसे देवता हैं जो जीवन को शुभ-लाभ की दिशा देते हैं। दीपावली पर जब आप बाजार से स्थापना के लिए भगवान गणेश की मूर्ति लाते हैं तो कुछ में उनकी सूंड दाईं और कुछ में बाईं ओर होती है। इनकी भी महत्ता भिन्न होती है। सूंड के दाईं तथा बाईं दिशा की महत्ता भी अलग-अलग होती है।
दाईं की ओर सूंड वाले गणेशजी को हठी स्वभाव का माना जाता है। इनकी प्रतिमाओं को घरों और ऑफिस में स्थापित नहीं किया जाता है। इन्हेंं मंदिरों में स्थापित की जाती है। आमतौर पर दाएं हाथ की सूंड वाले गणेशजी को तंत्र विधि से पूजा जाता है। इसके साथ ही दक्षिण दिशा में यमलोक है, जहां पाप-पुण्य का हिसाब रखा जाता है। इसी कारण इसे अप्रिय माना जाता है। इनकी पूजा-पाठ आसान नहीं है। ऐसे गणेशजी की पूजा में किसी भी प्रकार की गलती नहीं होनी चाहिए।
ब्रह्म स्थान में रखनी चाहिए गणेशजी की मूर्ति
भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना ब्रह्म स्थान में की जानी चाहिए। वास्तु में घर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान कहा जाता है। इस जगह का कारक पृथ्वी तत्व होता है। घर में स्थापित प्रतिमा पीली मिट्टी की हो तो शुभ रहता है। इस तरह हम घर में बाएं हाथ की ओर सूंड वाली प्रतिमा ब्रह्म स्थान में स्थापित करेंगे तो उससे घर के कई दोष दूर हो सकते हैं।