उत्तर प्रदेशराज्य

सरकारी मशीनरी ही फैला रही वायु प्रदूषण

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:अगर आप हजरतगंज होते हुए लालबाग और कैसरबाग की तरफ जा रहे हैं तो मुंह को ढंक लीजिए, यहीं तो धूल से आपका चेहरा सन जाएगा। अगर ऐसा ही हाल आलमबाग क्षेत्र का भी है। सीवर लाइन डालने में मानकों की अनदेखी की जा रही है और उसका असर यह दिख रहा है कि सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। सड़कों को खोदने के बाद वहां मिट्टी पर पानी का छिड़काव तक नहीं किया जा रहा है। ठेका पाई कंपनी एक जगह का काम पूरा करने के बजाय अन्य इलाकों की सड़कों को खोद रही है और फिर उसे समय पर बन बनाए जाने से मिट्टी हवा में उड़ रही है, जो तमाम नुकसानदायक कण के साथ ही हर किसी को बीमार कर रही है। यह सब सरकारी मशीनरी से हो रहा है और अफसर सिर्फ बैठक कर वायु प्रदूषण कम करने के दावे कर रहे हैं। वायु प्रदूषण रोकने के लिए तैयार मास्टर प्लान सीवर लाइन डाल रही एजेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।

सीवर लाइन डालने में मानकों की अनदेखी। हजरतगंज लालबाग कैसरबाग आलमबाग में मिट्टी का गुबार। स्मार्ट सिटी के काम से सांस लेना मुश्किल मिट्टी पर पानी का छिड़काव तक नहीं किया जा रहा है।

स्मार्ट सिटी के काम से सांस लेना मुश्किल

केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी सिटी योजना से हजरतगंज, लालबाग, कैसरबाग क्षेत्र में सीवर लाइन डाली जा रही है। स्मार्ट सिटी सिटी योजना का अध्यक्ष कमिश्नर होता है और जिलाधिकारी से लेकर नगर आयुक्त इस योजना के सदस्य हैं। इसके बाद भी स्मार्ट सिटी सिटी योजना के तहत सीवर लाइन डाल रही कंपनी बेलगाम है। वायु प्रदूषण रोकने की राय दे रहे अफसर कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं और वह सड़कों को खोदकर छोड़ रही है और कई कई दिनों तक मिट्टी सड़क पर एकत्र होने से वायु को भी प्रदूषित कर रही है।

आलमबाग में तो और बुरे हालात

आलमबाग में सीवर लाइन डालने का काम जलनिगम कर रही है और नगर निगम ने एक को ठेका दे रखा है लेकिन ठेकेदार ने ठेके को कई हाथों में बेंच दिया है। यह आरोप भी आलमबाग से जुड़े क्षेत्र के पार्षद राजेंद्र सिंह गप्पू, सुधीर मिश्र ने तो नगर निगम सदन में मुद्दा उठाया था और जलनिगम पर मनमानी करने का आरोप लगाया था। जलनिगम के अभियंता भी सदन में तलब किए गए लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हो सका।

फेफड़े में पहुंचते हैं कण

केजीएमयू के चेस्ट विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि धूल के कणों के साथ पीएम 2.5 जैसे प्रदूषित कण भी सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचते हैं जो हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सांस संबंधी रोग होने का खतरा रहता है। वहीं जिन लोगों को सांस संबंधी समस्या है उनकी समस्या भी बढ़ सकती है।

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