स्वतंत्रदेश,लखनऊज्ञानवापी में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मिले शिवलिंग को आदि विश्वेश्वर बताते हुए पूजा-अर्चना, राग-भोग समेत अन्य धार्मिक कार्य की अनुमति की मांग को लेकर प्रतापगढ़ के शैलेंद्र योगीराज की ओर से दाखिल मुकदमे की सुनवाई गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन हितेश अग्रवाल की अदालत में हुई।
मुस्लिम पक्ष द्वारा दावा संशोधन को लेकर दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने आदेश के लिए एक अगस्त की तिथि तय की है। पिछली सुनवाई पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद (मस्जिद पक्ष) की ओर से आपत्ति पत्र में बताया गया कि दाखिल मुकदमे में शैलेंद्र योगीराज की ओर से वादमित्र साबित करने के लिए कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया गया है।इस पर उनके वकील एसके द्विवेदी ने दलील दी कि वादमित्र शैलेंद्र योगीराज की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। वहीं मस्जिद पक्ष का यह भी कहना है कि मुकदमे में कमेटी आफ मैनेजमेंट अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कहकर पक्षकार बनाया गया है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कोई जीवित व्यक्ति नहीं है।किसी कमेटी या सोसाइटी के खिलाफ मुकदमा दाखिल होता है तो उसके अध्यक्ष को पक्षकार बनाया जाना जरूरी होता है। इसलिए इन दोनों ही त्रुटियों का निवारण जब तक नहीं किया जाता तब तक मुकदमे में अग्रिम कार्यवाही नहीं हो सकती है। इस पर अदालत ने एक अगस्त को दावा संशोधन पर आदेश की तिथि तय कर दी।वहीं दूसरी ओर ज्ञानवापी परिसर में कब्रों का जिक्र करते हुए उर्स, चादर, गागर समेत अन्य धार्मिक कार्यों की मांग करने के मामले में पक्षकार बनने को लेकर दिए गए निचली आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिक पर एडीजे सातवां की अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि छह अगस्त तय की है।
मुकदमें में पक्षकार बनाए जाने की याचिका खारिज होने के बाद लोहता के मुख्तार अंसारी की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई अपर जिला जज (चतुर्दश) देवकांत शुक्ला की अदालत में 21 अगस्त को होगी।
मुकदमे में पक्षकार बनने की मुख्तार की याचिका को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत ने बीते दो मई को खारिज कर दिया था।