मास्क व दूरी का रैलियों में नहीं हो रहा पालन
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :बीते कुछ महीनों में हमने जिस धैर्य के साथ कोरोना से जंग लड़ी है उसका नतीजा यह है कि अक्टूबर में संक्रमण की दर में काफी कमी आई। लेकिन विडंबना यह है कि कोरोना को लेकर अब लोगों में भय कम होता जा रहा है। उत्सवों के साथ चुनाव का माहौल है और लोग मास्क व शारीरिक दूरी जैसी अनिवार्य शर्तों का अनुपालन करते नहीं दिख रहे हैं। चुनावी रैलियों और प्रचार-प्रसार में भी शारीरिक दूरी व मास्क जो कोरोना महामारी से बचाव के सबसे बड़े हथियार हैं उनकी धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही हैं।
महामारी पर काफी हद तक नियंत्रण किया था, वह खत्म होता दिखाई दे रहा है। भय इस बात का है कि कोरोना पर काबू पाने के लिए अब तक के प्रयास कहीं विफल साबित ना हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर को आने से रोकना मुश्किल होगा और कहीं ऐसा हुआ तो स्थितियां बेहद गंभीर साबित हो सकती हैं। यही वजह है कि चंद रोज पूर्व स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित कर यह अपील की है कि कोरोना से लड़ाई अभी जारी है जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती हम ढिलाई नहीं बरत सकते।
उन्होंने लोगों से शारीरिक दूरी के साथ अनिवार्य रूप से मास्क पहनने की अपील की है। देखा गया है कि दुनिया भर में जहां भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी है उसके बाद नई लहर सामने आई है। यह पहले से कहीं ज्यादा गंभीर साबित हो रही है। तमाम देश जो महामारी पर काफी हद तक काबू पा चुके थे अब नए सिरे से जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि संक्रमण से बचाव के लिए बीते 6-7 महीनों से हम जो सावधानियां बरत रहे हैं उनको सख्ती के साथ जारी रखें। देखने में आया है कि कुछ लोगों ने यह लगभग मान लिया है कि हम कोरोना को हरा चुके हैं। यह समझना नितांत हमारी भूल होगी।
खासतौर पर जहां चुनाव होने हैं वहां पर सावधानी की सख्त जरूरत है। हमने एक लंबी लड़ाई महामारी के विरुद्ध लड़ी है और काफी हद तक सफल भी रहे हैं। अब बस कुछ समय धैर्य रखने की और जरूरत है। कोशिशें जारी हैं और उम्मीद है कि वर्ष के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में महामारी के विरुद्ध वैक्सीन आ जाएगी। इसलिए फिलहाल स्वत: अनुशासन रखें तो हम इस महामारी के विरुद्ध अंतिम दौर की लड़ाई को लड़ने में अवश्य कामयाब होंगे।