लखनऊ में कोरोना रूपी रावण का दहन
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:बुराई पर अच्छाई की जीत रावण के प्रतीक का पर्व विजयदशमी राजधानी में भी हर्षोल्लास से मनाया गया। ऐशबाग रामलीला समिति की ओर से रावणवध लीला के मंचन के बाद शहर के 71 फीट के दशानन के पुतले का दहन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने रामलीला के इतिहास और दशहरे पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ऐशबाग रामलीला की तुलसीदास ने रूपरेखा तैयार की थी।
ऐशबाग रामलीला समिति की स्थापना वर्ष 1860 में हुई थी, लेकिन इसका इतिहास 500 वर्ष पुराना है, मुगल काल में इसकी शुरुआत हुई। गोस्वामी तुलसीदास जी के शिष्यों, लखनऊ के नवाबों बाहर के कलाकारों ने यहां मंचन किया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद यहां आकर मंचन देख चुके हैं, कलाकारों का उत्साहवर्धन किया है। कार्यक्रम का ऑनलाइन मंचन भी हुआ। मुफ्त का दवा चिकित्सालय भी चलता है यहां।
मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतले भी जलाए जाते थे, लेकिन इस बार सिर्फ रावण पुतला दहन हुआ।कोविड 19 के नियमों का पालन करते हुए इस बार कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी व जेसीपी कानून व्यवस्था नवीन अरोड़ा व समिति के अध्यक्ष हरीश चंद्र अग्रवाल मौजूद रहे। दर्शकों को भीतर जाने की अनुमति नहीं थी। कोरोना संक्रमण के चलते इस साल सामान्य रूप से आयोजन किया गया।
कोरोना का नाश हो थीम पर बना रावण का पुतला..
इस बार ‘कोरोना का नाश हो’ थीम पर रावण का पुतला बनाया गया, जिसका दहन समिति की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर दर्शक देख सके
.दर्शकों से भरा रहने वाला ग्राउंड खाली रहा
हर वर्ष दर्शकों से खचाखच भरा रहने वाला ऐशबाग रामलीला का मैदान इस बार खाली नजर आया। आम दर्शकों का स्थान कुछ वीआईपी मेहमानों ने ले रखा था। रामलीला कमेटी के लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार दर्शकों की एंट्री नहीं की गई।
डालीगंज में भी पुतला दहन..
ऐशबाग के अतिरिक्त डालीगंज स्थित मौसमगंज में रामलीला समिति की ओर से 25 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन हुआ। यहां भी दर्शकों को आने की मनाही रही। नगर में तमाम स्थानों पर इस बार रामलीला मंचन नहीं हो रहे हैं। कोरोना गाइडलाइन के चलते इसबार शहर में गिनी चुनी जगह ही रावण के पुतले का दहन किया गया।