उत्तर प्रदेशलखनऊ

ऑनलाइन होगा प्रसारण

स्वतंत्रदेश ,लखनऊ : ऑनलाइन पूजा का प्रसारण करने की तैयारी, 22 से पंडालों में होंगी मां भवानी आराधना कोरोना संक्रमण काल में दुर्गा पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं को रोकने के लिए ऑनलाइन प्रसारण की तैयारी की जा रही है। छोटे पंडाल के साथ ही छोटी प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। आनंद उत्सव से दूर 22 अक्टूबर से पंडालों मेें मां दुर्गा की पूजा शुरू हो जाएगी।

लखनऊ में कोविड 19 की वजह से इस बार डिजिटल होगी दुर्गा पूजा ऑनलाइन होगा पूजा का प्रसारण। छोटे पंडाल के साथ ही छोटी प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। आनंद उत्सव से दूर 22 अक्टूबर से पंडालों मेें मां दुर्गा की पूजा शुरू हो जाएगी।

बादशाहनगर दुर्गा पूजा कमेटी की सह संयोजक प्रिया सिन्हा ने बताया कि इस बार खुले मैदान के बजाय हाल में पूजा होगी। निराला नगर के श्रीराम कृष्ण मठ में स्थापना से लेकर विसर्जन यात्रा तक ऑनलाइन देखी जा सकेगी। मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद ने बताया कि पूजा के दिनों में हर दिन भारी संख्या में श्रद्धालु दूरदराज से आते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते 22 से 26 तक ऑनलाइन व सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारण होगा। हर दिन सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक मठ के यूट्यूब चैनल व मठ के फेसबुक पेज पर पूजा का प्रसारण होगा। 105 साल पुरानी बंगाली क्लब के पूजन भी इस साल ऑनलाइन दिखाने की तैयारी चल रही है।

बंगाली क्लब के अध्य्क्ष अरुण बनर्जी ने बताया कि यह हमारी पूजा का 106 वां साल है। पूजन के दौरान हर दिन सुबह से शाम तक अलग-अलग समय पर 1500 से 2000 तक दर्शकों की आमद आम दिनों में हो जाया करती थी। इस साल गाइडलाइन के नियम तय है। सुबह से शाम तक सिर्फ पूजन होगा, कोई सांस्कृतिक आयोजन नहीं होंगे। कैंट में होने वाली कैंटोमेंट दुर्गा पूजा सेवा समिति के मीडिया सचिव निहार डे ने बताया कि पूजा को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा। विकासनगर में होने वाली दुर्गा पूजा को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा। लालबाग के झंडीवाला पार्क, आलमबाग सिंधी स्कूल व आशियाना मेें भी छोटे स्तर पर पूजा होगी। संधि पूजा 24 कोबंगाली समाज के दुर्गा पूजा पंडालों में 108 कमल के फूलों से होेने वाली संधि पूजा 24 अक्टूबर को होगी। सुबह 11 बजे से 11:48 बजे तक पूजा होगी। बंगाली समाज की प्रिया सिन्हा ने बताया कि अष्टमी व नवमी के बीच में यह पूजा होती है। बंगाली समाज में इसका विशेष महत्व है। ढाक वादकों को बुलाया गया है। संक्रमण के चलते वे आने से कतरा रहे हैं। आनंदोत्सव समेत प्रसाद वितरण नहीं हाेगा।

 

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