मनमानी से चल रहे हैं तमाम प्राइवेट प्ले स्कूल
स्वतंत्रदेश , लखनऊ:प्राइवेट प्ले स्कूलों की स्थापना, संचालन व उनकी मनमानी रोकने के लिए केंद्र सरकार के स्तर से बनाए गए दिशानिर्देशों पर शासन के अधिकारी कुंडली मार कर बैठ गए हैं। तीन वर्ष से लगातार लिखापढ़ी के बावजूद प्रदेश सरकार ने न तो अपने स्तर से इसके लिए कोई कानून बनाया और न ही केंद्र के स्तर से बनाए गए नियामकीय दिशानिर्देशों पर ही अमल किया। हालात ये हैं कि शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक प्राइवेट प्ले स्कूलों की बाढ़ आई हुई है। लेकिन, उनकी जवाबदेही को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। कहा जा रहा है कि प्राइवेट प्ले स्कूलों के संचालन से जुड़े प्रभावशाली लोगों के प्रभाव में अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।
प्रदेश में 0-6 वर्ष के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से स्कूल पूर्व शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य के बाल विकास एवं पुष्टहार विभाग को सौंपी गई है। लेकिन, निजी स्कूलों में जाने वाले बच्चों के लिए तय मानकों का अनुपालन कराने के लिए कोई नियामकीय तंत्र नहीं है। जानकार बताते हैं कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने वर्ष 2017 में 0-6 वर्ष के बच्चों के संरक्षण की पहल करते हुए प्राइवेट प्ले स्कूलों की मान्यता के लिए नियामकीय दिशानिर्देश ((रेगुलेटरी कंप्लायंस) जारी किए थे। इसमें प्ले स्कूलों की स्थापना, मान्यता की प्रक्रिया, प्ले स्कूल के मानक, स्टाफ की संख्या व योग्यता, भवन, कार्यअवधि, शिक्षण सामग्री, लाइब्रेरी, खेलकूद, स्वास्थ्य व सुरक्षा जैसे विषय शामिल थे।
केंद्र सरकार ने इन दिशानिर्देशों पर अमल के लिए भी बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को ही नोडल विभाग नामित किया। आयोग ने राज्य सरकारों से कहा था वे चाहें तो राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के दिशानिर्देशों को ही अधिसूचित कर प्ले स्कूलों को नियमों के दायरे में ले आएं। अथवा, इन दिशानिर्देशों के प्रावधानों को शामिल कर राज्य स्तर पर कानून बनाकर कार्यवाही करें। मगर, इन दिशानिर्देशों पर क्या हुआ, इस पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। अकेले राजधानी लखनऊ में करीब 2000 प्ले स्कूल होने का अनुमान है। प्रमुख सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार डा. वीना कुमारी मीना से इस संबंध में बात के लिए कई बार संपर्क किया गया, मगर उन्होंने न तो फोन रेस्पांड किया और न ही मैसेज का जवाब दिया।
बाल संरक्षण आयोग बार-बार मांग रहा जवाब, अफसर चुप
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के दिशानिर्देशों पर अमल के लिए राज्य बाल संरक्षण आयोग वर्ष 2020 से लगातार कोशिश कर रहा है। आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य की ओर से इन दिशानिर्देशों पर अमल के लिए शासन के बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। मार्च 2020 और जुलाई 2020 में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डा. विशेष गुप्ता ने प्रमुख सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को पत्र लिखा। मई 2022 और मई 2023 में आयोग की वरिष्ठ सदस्य डा. शुचिता चतुर्वेदी ने पत्र लिखा। मगर, शासन के अधिकारी न तो इन पत्रों का जवाब दे रहे हैं और न ही इस संबंध में कोई कार्यवाही ही कर रहे हैं।
प्ले स्कूलों की मनमानी
- नियमों के दायरे में न होने से फीस का कोई तय ढांचा तय नहीं है। इससे मनमानी फीस ली जाती है।
- प्ले स्कूलों की निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं है, इससे इनके खिलाफ शिकायत का कोई फोरम नहीं है।
- तमाम प्ले स्कूल दो-चार कमरे में शुरू कर दिए जाते हैं। वहां खेलने-कूदने व स्वास्थ्य को लेकर उचित वातावरण का अभाव
- प्ले स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षक व देखभालकर्ता उपलब्ध हैं या नहीं, यह सुनिश्चित नहीं हो पाता।
शिक्षा विभाग प्रावइेट प्ले स्कूलों को रेगुलेट करने संबंधी कार्य नहीं कर रहा है। इस संबंध में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ही बता पाएगा।