पूजित शिलाओं से बनेगा आस्था का स्मारक
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:साढ़े तीन दशक पुराने मंदिर आंदोलन के प्रारंभिक चरण में गांव-गांव पूजित शिलाओं को आखिरकार वह स्थान मिल रहा है, जिसके लिए वह अस्तित्व में आई थीं। विहिप के संयोजन में ये शिलाएं देश के पौने तीन लाख गांवों सहित विदेश के रामभक्तों से पूजित कराई गई थीं। इसके पीछे जहां राम मंदिर निर्माण के प्रति जागरण का भाव था, वहीं पूजित शिलाएं मंदिर निर्माण में प्रयुक्त होने की उम्मीद थी।अयोध्या में पूजित शिलाएं एकत्र होने के बाद लंबे समय तक मंदिर निर्माण की नौबत ही नहीं आई। इसके बावजूद इनके प्रति पूरा आदर अर्पित था। पहले इन्हें रामजन्मभूमि के करीब फकीरेराम मंदिर के परिसर में स्थापित किया गया। जनवरी 1993 में रामजन्मभूमि के आसपास 67.77 एकड़ भूमि अधिग्रहण के बाद पूजित शिलाओं को फकीरेराम मंदिर से स्थानांतरित कर रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखा गया था।

ये शिलाएं आस्था के केंद्र में तो थीं, किंतु नौ नवंबर 2019 को राममंदिर के पक्ष में आए न्यायालय के निर्णय के बाद जब मंदिर निर्माण की कार्ययोजना बनी, तब इन शिलाओं की उपयोगिता पर सवाल उठने लगे। मंदिर निर्माण में ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जिसका निर्माण इन शिलाओं से सुनिश्चित होता। इसके बावजूद रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इन शिलाओं को आस्था के स्मारक के रूप में रामजन्मभूमि परिसर में स्थापित करने का निर्णय लिया और इसी क्रम में ये शिलाएं इन दिनों मंदिर निर्माण कार्यशाला से रामजन्मभूमि परिसर ले जाई जा रही हैं।