लखनऊ की पूजा की आपबीती , धमाकों से दहल जाता था दिल
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध का नौवां दिन है।वहां फंसे छात्रों को भारत वापस लाने के लिए सरकार ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान चला रही है।यूक्रेन से लखनऊ लौटी पूजा वहां MBBS की पढ़ाई कर रही थी। पूजा ने बताया कि युद्ध की बात सुनकर पापा-मां का रो-रोकर बहुत बुरा हाल था। धमाकों से दिल दहल जाता था।हॉस्टल से बस की व्यवस्था करके हम रोमानिया बॉर्डर के लिए निकले।मगर,रास्ते में ही उतरना पड़ा।करीब 44 किलोमीटर हम सभी पैदल चलकर वहां पहुंचे।माइनस 6 डिग्री ठंड में हम सभी रहे।
सवाल- यूक्रेन-रासिया के बीच युद्ध शुरु हुआ, तब आप कैसे रहीं, कैसे लौटीं?
जवाब– वहां पर कंडीशन बहुत खराब है। 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद धमाके होने लगे, तो डर लग रहा था।फिर हम सभी ने ट्वीट किए।बंकर में रहते हुए सायरन की आवाज सुनना रोज की आदत हो गई थी। माइनस 5 से 10 डिग्री तक तापमान रहने की वजह से ठंड बहुत ज्यादा थी।बॉर्डर तक पहुंचने के लिए कोई मदद नहीं मिल रही थी।रोमानिया बॉर्डर क्रॉस करने के बाद रोमानिया के लोगों और भारतीय एंबेसी ने मदद की। हमारा टिकट एयर इंडिया की फ्लाइट में कराया गया।
सवाल- इंडियन एंबेसी से आपने संपर्क किया, तब आपको मदद मिली या नहीं?
जवाब– बॉर्डर क्रॉस करने के बाद मदद मिली।उससे पहले कोई मदद नहीं मिली।हम लोगों ने जब रोमानिया में इंट्री की, तो वहां रोमानिया के लोगों ने हमारे लिए शेल्टर होम बनाए गए थे। खाने-पीने की व्यवस्था की थी। शेल्टर होम से एयरपोर्ट काफी दूर था।इंडियन एंबेसी के अधिकारियों ने हमें गाड़ियों में बिठाकर एयरपोर्ट पहुंचाया।करीब 7 घंटे बाद हम एयरपोर्ट पहुंचे और उसके बाद वहां से फ्लाइट लेकर दिल्ली पहुंचे, जहां हमें यूपी भवन में रखा गया। वहां से सभी को कार से उनके घर भेजा गया।
सवाल- आप घर पर आ गई हैं, किसी फ्रेंड ने संपर्क किया?
जवाब– मैं यही सोचती रहती हूं कि, मेरे जो दोस्त फंसे हैं या और जो लोग हैं उनका क्या हो रहा होगा? मेरी रूम मेट थी, उससे अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है।