उत्तर प्रदेशराज्य

बैड तालिबान और गुड तालिबान’ के बीच में भारत

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :अफगानिस्‍तान में तालिबान सरकार को लेकर रूस, चीन और पाकिस्‍तान ने अपनी नीति साफ कर दी है। तीनों देशों ने प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से तालिबान शासन को जायज ठहराया है। हालांकि, भारत अभी तक इस पूरे मामले में मौन है। अफगानिस्‍तान मामले में भारत बहुत फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। भारत, अफगानिस्‍तान में नई स्थिति का गइराई से व‍िश्‍लेषण कर रहा है। भारत यह जानता है कि तालिबान के समक्ष भी अभी कई तरह की चुनौतियां हैं। तालिबान को अफगानिस्‍तान के अंदर ही कई तरह की बाधाओं को पार करना होगा। आखिर तालिबान शासन को लेकर रूस, चीन और पाकिस्‍तान का क्‍या स्‍टैंड है, तालिबान के समक्ष क्‍या नई चुनौती है। अफगानिस्‍तान पर नई नीति को लेकर आखिर भारत क्‍यों मौन है।

            अफगानिस्‍तान में तालिबान सरकार को लेकर रूस चीन और पाकिस्‍तान ने अपनी नीति साफ कर दी है।

भारत की दोहरी चुनौती

प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि अफगानिस्‍तान में भारत एक तरह से दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत को एक तरफ जहां जम्‍मू-कश्‍मीर में फ‍िर से आतंकवाद पनपने का भय है, वहीं दूसरी और तालिबान के मसले पर चीन और पाकिस्‍तान की ओर से उसे एक नई तरह की कूटनीतिक चुनौतियां भी मिल रही है। अब इस धड़े में रूस भी शामिल हो गया है। इस तरह यह चुनौतियां दो मोर्चे पर है। खासकर यह चुनौती तब और भी बड़ी हो जाती है, जब भारत ने अफगानिस्‍तान में विकास योजनाओं पर लंबा निवेश किया है। ऐसे में भारत अफगानिस्‍तान की समस्‍या से पूरी तरह मुंह भी नहीं मोड़ सकता है।

ड तालिबान और गुड तालिबान

18 अगस्‍त, 2015 को दुबई के एक क्रिकेट स्‍टेडियम में भारतीयों को संबोधति करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तालिबान को लेकर अपने दृष्टिकोण को साथ किया था। उन्‍होंने कहा था कि गुड तालिबान बैड तालिबान, गुड टेररिज्‍म और बैड टेररिज्‍म, यह अब चलने वाला नहीं है। हर किसी को तय करना पड़ेगा कि फैसला करो कि आप आतंकवाद के साथ हैं या मानवता के साथ हो। उस वक्‍त तालिबान को लेकर भारत की यह नीति रही है। इस भाषण के ठीक छह वर्ष बाद अफगानिस्‍तान में राजनीतिक हालत तेजी से बदले हैं। अब तालिबान दुनिया के समक्ष अपनी एक बेहतर छवि पेश कर रहा है। वह महिलाओं की आजादी समेत तमाम हकों को देने की बात कर रहा है।

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