राष्ट्रीय

संसद में सुशील मोदी का बड़ा बयान

 

सुशील मोदी ने कहा कि यदि हम पेट्रोलियम उत्पादों पर 28 प्रतिशत कर एकत्र करते हैं, तो केवल 14 रुपये (प्रति लीटर) ही एकत्र किया जाएगा और वर्तमान में 60 रुपये एकत्र किया जा रहा है। अगर पेट्रोल या डीजल की कीमत 100 रुपये (प्रति लीटर) है तो इसमें 60 रुपये कर होता है। इससे केंद्र को 35 रुपये और संबंधित राज्यों के लिए 25 रुपये कर होता है। केंद्र के 35 रुपये  में 42 प्रतिशत राज्यों को जाता है।

भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि अगले आठ से 10 वर्षों तक पेट्रोल और डीजल को जीएसटी व्यवस्था के तहत लाना संभव नहीं है।

बता दें कि हाल ही में कुछ राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई थी। बुधवार को पेट्रोल की कीमत में 18 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 17 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई। इसके साथ ही पेट्रोल की कीमत दिल्ली में 91.99 रुपये प्रति लीटर से घटकर 90.99 रुपये प्रति लीटर हो गई। डीजल अब राष्ट्रीय राजधानी में 81.30 रुपये प्रति लीटर हो गया है, जो पहले 81.47 रुपये था। देश भर में दरें घटी हैं। पिछले एक साल में पहली बार पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती हुई है। कीमतों में अंतिम बार 16 मार्च, 2020 को घटोती हुई थी

भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि अगले आठ से 10 वर्षों तक पेट्रोल और डीजल को जीएसटी व्यवस्था के तहत लाना संभव नहीं है।  ऐसा करने से सभी राज्यों को 2 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व नुकसान होगा। केंद्र और राज्य सामूहिक रूप से पेट्रोलियम उत्पादों पर 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर इक्ट्ठा करते हैं। सुशील मोदी ने फाइनेंस बिल 2021 की चर्चा में भाग लेते हुए राज्यसभा में यह बात कही। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक दिन पहले ही कहा था कि जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में अगर राज्य पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का मसला उठाते हैं, तो वे चर्चा के लिए तैयार हैं। उन्हें इसमें कोई दिक्कत नहीं है।

सुशील मोदी ने कहा है कि अगले आठ से 10 वर्षों में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी व्यवस्था के तहत लाना संभव नहीं है क्योंकि राज्य 2 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक राजस्व नुकसान सहने के लिए तैयार नहीं होंगे। केंद्र और राज्य मिलकर पेट्रोलियम उत्पादों पर कर से 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक कमाते हैं। उन्होंने आगे बताया कि अगर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाया जाता है, तो उन पर ज्यादा से ज्यादा 28 प्रतिशत कर वसूला जाएगा, क्योंकि यह कर व्यवस्था में सबसे अधिक स्लैब है। वर्तमान में, पेट्रोलियम उत्पादों पर 60 प्रतिशत कर एकत्र किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप केंद्र और राज्यों को 2 लाख करोड़ रुपये से 2.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

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