उत्तर प्रदेशराज्य

नौ डिग्री कोण पर झुका रत्नेश्वर महादेव मंदिर

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :मणिकर्णिका घाट के समीप बना वाराणसी का रत्नेश्वर महादेव मंदिर अक्सर चर्चा में रहता है। विशेषता यह है कि मंदिर साल में आठ-नौ माह तक पूरी तरह गंगा जल से स्वत: अभिषेक करता है। गर्भगृह ही नहीं, इसका शिखर तक डूब जाता है। दूसरी विशेषता यह है कि पीसा की मीनार की तरह यह एक तरफ नौ डिग्री कोण पर झुका हुआ है, जबकि पीसा की मीनार केवल चार डिग्री कोण पर ही झुकी है। हाल में यह मंदिर तब चर्चा में आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्विटर चैलेंज में इस मंदिर को पहचानकर रीट्वीट किया।

विस्तार में जाएं तो एक किंवदंती है कि इसे राजा मानसिंह की नौकरानी ने मां के दूध का कर्ज चुकाने के लिए बनवाया और मां को अच्छा नहीं लगा तो उन्होंने इसे टेढ़ा बता दिया और यह तबसे झुका है।

प्रधानमंत्री स्वयं नागर शैली में बने इस मंदिर के स्थापत्य और नौ डिग्री कोण पर बरसों से झुकाव को लेकर विस्मित रहे हैं। उन्होंने पहले भी मंदिर के फोटोग्राफ ट्वीट किए थे। शायद, इसीलिए अपने संसदीय क्षेत्र काशी की इस धरोहर को पहचानने में तनिक भी देर नहीं लगाई। लेकिन इस बार उनके ट्वीट से मंदिर को लेकर नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई। प्रश्न है कि मंदिर अपनी अनूठी स्थापत्य कला की वजह से झुकाव के बावजूद सदियों से एक जगह पर ही टिका है या इसके कुछ और कारण हैं

किंवदंतियों का देश है, जिसमें पूरा नहीं तो अर्धसत्य तो दिख ही जाता है। प्रदेश का यह अकेला मंदिर नहीं है, जिसका गर्भगृह नदी के जल में प्लावित है। कई शिव मंदिर हैं जो नदी से दूर हैं, लेकिन उनके गर्भगृह नदी के आंतरिक स्रोत से जलाभिषेक करते हैं। लेकिन काशी का यह मंदिर अपने अस्तित्व में आज भी प्रतिष्ठित है तो दो बातें स्पष्ट हैं। एक कि इस पर विज्ञानी और एतिहासिक शोध की आवश्यकता है और इस समृद्ध ज्ञान को दुनियाभर के आध्यात्मिक व जिज्ञासु पर्यटकों तक पहुंचाने की जरूरत है। इसे पर्यटन के विस्तार के रूप में भी देखा जा सकता है।

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