उत्तर प्रदेशराज्य

उर्दू साहित्य के लेखक शम्‍सुर्रहमान फारुकी का निधन

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:उर्दू साहित्‍य के प्रख्‍यात शायर और लेखक शम्‍सुर्रहमान फारुकी का निधन हो गया है। उनका नाम प्रसिद्ध आलोचकों की श्रेणी में भी आता था। 85 की उम्र में उनका निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से प्रयागराज के रचनाकारों व उर्दू साहित्‍य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है।

शम्सुर्रहमान फारुकी का जन्म 15 जनवरी 1935 में हुआ था। उदार परिवेश में पले शम्सुर्रहमान ने पढ़ाई के बाद कई जगह नौकरी की। इसके बाद वह इलाहाबाद में शबखूं पत्रिका के संपादक हो गए।

 

फारुकी ने उर्दू साहित्य को आयाम दिया

शम्सुर्रहमान फारुकी का जन्म 15 जनवरी 1935 में हुआ था। उदार परिवेश में पले शम्सुर्रहमान ने पढ़ाई के बाद कई जगह नौकरी की। इसके बाद वह इलाहाबाद में शबखूं पत्रिका के संपादक हो गए। उन्होंने उर्दू साहित्य को अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्‍होंने ‘कई चांद और थे सरे आसमां, गालिब अफसाने के हिमायत में, उर्दू का इब्तिदाई जमाना आदि रचनाएं लिखी हैं।

 

फारुकी को कई सम्‍मान मिला

शम्सुर्रहमान फारुकी को उर्दू आलोचना के टीएस एलियट के रूप में भी माना जाता है। सरस्वती सम्मान के अलावा उन्हें 1986 में उर्दू के लिए साहित्य अकाद सम्मान भी दिया गया था। फारुकी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में एमए किया था। एमए की डिग्री उन्‍होंने वर्ष 1955 में हासिल की थी।

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