चार साल में 2.5 लाख किसानों को मिलेगा निःशुल्क बीज
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:पूरी दुनिया इस साल (2023) अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रही है। चूंकि यह आयोजन भारत की पहल पर ही हो रहा है। लिहाजा देश में इस आयोजन को सफल बनाने की जोरदार तैयारियां चल रही हैं। उत्तर प्रदेश में कृषि अधिकांश लोगों की आजीविका का साधन है। दुनिया की उर्वरतम भूमि में शुमार इंडो गंगेटिक बेल्ट का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही आता है। भरपूर पानी एवं मानव संसाधन होने के नाते उत्तर प्रदेश में किसी तरह की खेती की संभावना भी अच्छी है। यही वजह है कि मात्र 11 फीसद रकबे वाला उत्तर प्रदेश देश का 20 फीसद खाद्यान्न पैदा करता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खेतीबाड़ी में खासी रुचि भी है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष को सफल बनाने में उत्तर प्रदेश की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी।मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन एवं कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के निर्देश पर तैयारियां भी इसी अनुरूप हो रही हैं। “उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरोद्धार कार्यक्रम” चला रही है। मंशा यह है कि मिलेट्स की पोषण संबंधी खूबियों से लोग वाकिफ हों। बेहतर स्वास्थ्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए अधिक्तम लोग इनका किसी न किसी रूप में इनका उपभोग करें। इसके मद्देनजर योजना के तहत मिलेट्स फसलों (बाजरा,ज्वार, सावा, कोदो आदि) की खेती को व्यापक पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए समग्रता में प्रयास किये जा रहे हैं। मसलन रकबे एवं उपज में वृद्धि, तैयार उत्पादों का प्रसंस्करण आदि।
इसके लिए सरकार किसानों को निःशुल्क बीज मिनीकिट वितरित करेगी।योजना के तहत चार वर्षों में 2.5 लाख बीज मिनीकिट मिलेटस के उपलब्ध कराये जायेंगे। इस पर राज्य सरकार 11.86 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
बीजोत्पादन पर खर्च होंगे 7.20 करोड़ रुपये
मिलेट्स के बीजोत्पादन के लिए सरकार वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक कुल 180 कृषक उत्पादक संगठनों को चार लाख रुपये प्रति एफपीओ की दर से सीड़ मनी उपलब्ध कराया जायेगा। इससे भविष्य में प्रदेश में मिलेटस की विभिन्न फसलों के बीज स्थानीय स्तर पर कृषकों को उपलब्ध हो सकेंगे। इस कार्यक्रम पर चार वर्षों में 7.20 करोड़ रुपये का व्यय आयेगा।