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पीएम नरेंद्र मोदी की अब चीन के खिलौना बाजार पर नजर

 चीन के मोबाइल तथा इलेक्ट्रानिक बाजार को बड़ी चोट देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर अब चीन के खिलौना बाजार पर है। पीएम मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ में इसका साफ संकेत दिया है। आत्मनिर्भर तथा मेक इन इंडिया पर बेहद जोर देने वाले पीएम नरेंद्र मोदी की इच्छा है कि भारत टॉय हब बने। इसके लिए उन्होंने वाराणसी को भी बड़े टॉय क्लटर के रूप में विकसित करने की इच्छा जताई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 68वें संस्करण में स्वदेशी खिलौने और कंप्यूटर गेम बनाने की अपील कीपीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में गेम्स के साथ खिलौना सेक्टर को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं। जो पर्यावरण के भी अनुकूल होंउन्होंने कहा कि खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री करीब सात लाख करोड़ रु. से अधिक की है। सात लाख करोड़ रु. का इतना बड़ा कारोबार लेकिन भारत में उसका हिस्सा बहुत कम है। आप सोचिए जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परंपरा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी चाहिए। उन्होंने टॉय इंडस्ट्री बहुत व्यापक है।

उन्होंने आगे कहा कि वाराणसी में लकड़ी के खिलौने बनते थे। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के एति-कोप्पका टॉय एक समय में बहुत प्रचलित थे। यह खिलौने लकड़ी से बनते थे और इन खिलौनों में आपको कहीं कोई एंगल या कोण नहीं मिलता था

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