उत्तर प्रदेशराज्य

छह सीटों पर भाजपा का परचम

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :कोरोना वायरस संक्रमण, अपराध और बेरोजगारी जैसे सारे विपक्षी हथियार आखिरकार भोथरे साबित हुए। उत्तर प्रदेश में सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जनता ने योगी सरकार के साढ़े तीन वर्ष के कामकाज, नीति और नीयत पर भरोसे की मुहर लगाई है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भाजपा ने 2017 में जीती छह सीटों पर फिर जीत हासिल की है, जबकि सपा बढ़ने के बजाए अपनी एक सीट ही बचा पाई। मतदाता ने बसपा और कांग्रेस को सिरे से खारिज कर दिया, जो कि खाता भी न खोल सकीं।

उत्तर प्रदेश में सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जनता ने योगी सरकार के साढ़े तीन वर्ष के कामकाज नीति-नीयत पर भरोसे की मुहर लगाई है।

विभिन्न कारणों से खाली हुईं उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए तीन नवंबर को मतदान हुआ, जिसके नतीजे मंगलवार को घोषित हुए। इसमें छह सीट नौगावां सादात, बांगरमऊ, घाटमपुर, देवरिया, बुलंदशहर और टूंडला पर फिर भाजपा ने जीत हासिल कर संदेश दे दिया कि विपक्षी दलों के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव की राह अभी भी मुश्किल ही है।

कोरोना संक्रमण के चलते आई तमाम विपरीत परिस्थितियों में अपने फैसलों से सरकार मतदाताओं में भरोसा कायम रखने में कामयाब रही तो भाजपा का संगठनात्मक कौशल भी बेहतर परिणाम के रूप में सामने आया है। वहीं, सपा मल्हनी सीट 2017 की तरह फिर बचाने में सफल रही है। बसपा और कांग्रेस के पास इनमें से कोई सीट नहीं थी। बसपा के हिस्से का वोट इस चुनाव में और खिसक गया, जबकि छह सीटों पर लड़ी कांग्रेस खाली हाथ रहते हुए सिर्फ इस सुकून में है कि वह दो सीटों घाटमपुर और बांगरमऊ पर रनरअप का पायदान छू सकी।मल्हनी में निर्दल प्रत्याशी धनंजय सिंह सपा के पसीने छुड़ाते रहे और दूसरे स्थान पर रहे।

 

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