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राजनाथ सिंह ने बुलाई बैठक जनरल रावत,NSA डोभाल और तीनों सेना प्रमुख मौजूद

भारत-चीन सीमा पर काफी लंबे समय से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। कई बार दोनों देशों के बीच कमांडर लेवल की बातचीत हो चुकी है, लेकिन हर दिन के साथ बॉर्डर पर माहौल बिगाड़ता जा रहा है। चीन की तरफ से भारी तैनाती होती है तो भारत भी आगे बढ़कर मुंह तोड़ जवाब देता है। अब भारत में चीन के जुड़ी सीमा पर सुरक्षा के मद्देनजर एक बैठक भी चल रही है। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, रक्षा स्टाफ के प्रमुख जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ चीन सीमा पर जारी स्थिति पर चर्चा करने के लिए सुरक्षा समीक्षा बैठक कर रहे हैं।’

इससे पहले विदेश मंत्री (EAM) एस जयशंकर ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में मौजूदा तनाव पर गुरुवार को मॉस्को में चीन के राज्य मंत्री और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विस्तृत चर्चा की। बैठक ढाई घंटे तक चली। सरकारी सूत्रों के अनुसार, जयशंकर ने कहा कि जैसा कि पूर्वी लद्दाख में हाल की घटनाओं ने द्विपक्षीय संबंधों के विकास को अनिवार्य रूप से प्रभावित किया है, वर्तमान स्थिति का तत्काल समाधान दोनों देशों के हित में होगा।

सूत्रों ने बताया कि बातचीत में जयशंकर ने भारत के इस मत को मजबूती से सामने रखा कि एलएसी पर अमन व शांति के बिना द्विपक्षीय संबंध मजबूत नहीं हो सकते। मई, 2020 में चीनी सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का अतिक्रमण किए जाने के बाद जयशंकर व वांग यी के बीच यह पहली मुलाकात थी। मॉस्को में हुई मुलाकात के बारे में देर रात तक दोनों पक्षों की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया। इससे यह संकेत मिला कि बातचीत का कोई सकारात्मक निष्कर्ष नहीं निकला। हालांकि, शुक्रवार तड़के सुबह दोनो देशों ने जो संयुक्त साझा बयान जारी किया है। पिछले हफ्ते दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की भी मॉस्को में इसी हालात में बातचीत हुई थी और उसके बारे में भी आधिकारिक तौर पर बहुत देर बाद सूचना दी गई थी।

 मंत्रियों ने पांच बिंदुओं पर एक समझौता किया, जो मौजूदा स्थिति के लिए उनके दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करेगा। बता दें कि भारत और चीन अप्रैल-मई से चीनी सेना द्वारा फिंगर एरिया, गलवन घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और कोंगरुंग नाला सहित कई क्षेत्रों में किए गए हमले को लेकर आमने-सामने हैं। जून में गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़पों में 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद स्थिति और बिगड़ गई।

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