उत्तर प्रदेशराज्य

पटरियों के किनारे पनप रहा है डेयरियों का कारोबार

पटरियों के किनारे इतने लंबे समय तक आरपीएफ के रहते अतिक्रमण तो नहीं हो सकता। कही न कही शय तो रेल सुरक्षा बल व स्थानीय पुलिस की मिल ही रही है।पटरियों के किनारे डेयरियों का कारोबार दशकों से फल फूल रहा है।

 रेलवे का आरोप था कि यह अतिक्रमण है लेकिन स्थानीय लोगों का तर्क था कि यह जमीन नियमानुसार लेकर आवास बनाए गए हैं, आज भी यह विवाद कायम हैं। यही हाल पारा राम विहार कालोनी का है। यहां भी रेलवे ट्रैक के किनारे अवैध डेयरी संचालकों ने कब्जा कर रखा है। कैंट के पुराना किला के पास से गुजरी पटरी के आसपास का क्षेत्र भी अतिक्रमण से मुक्त नहीं है।

वर्ष 2012 के आसपास गोमती नगर विस्तार के खरगापुर व जनेश्वर मिश्रा पार्क के पास वाली पटरी के किनारे एक झोपड़ी एक व्यक्ति ने बनाई थी। पिछले आठ सालों में यह कुनबा बढ़कर दर्जनों की संख्या में हो गया है। आरपीएफ ने वर्ष 2018 में जनेश्वर मिश्रा पार्क के सामने से गुजर रही पटरी के किनारे बसे लाेगों को हटाया भी, लेकिन आज यह फिर गुलजार है। वहीं ग्वारी चौराहे से गोमती नगर विस्तार को जाने वाले फ्लाई ओवर के नीचे रेल की पटरी है। यहां एक से दो किमी. तक अवैध डेयरियों का कारोबार हो रहा है। गोमती नगर विस्तार व गोमती नगर के कई खंडों में यही से दूध भी सप्लाई होता है।

इसके अलावा गोंडा, सीतापुर, सुलतानपुर, रायबरेली, अमेठी, गोंडा, बाराबंकी सहित कई स्टेशनों के आउटर पर अवैध रूप से रह रहे हैं लोग।

उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे के हाट स्पॉट एरिया

चारबाग जुबली इंटर काॅलेज के पीछे बसी अस्थायी बस्ती

आलमबाग नगर में पटरियों के किनारे

निशातगंज में रेलवे क्रासिंग के किनारे बसी बस्ती

गोमती नगर विस्तार सेक्टर चार में पटरियों के किनारे बसी अवैध डेयरियां

गोमती नगर स्टेशन के आसपास अवैध बस्तियां

डालीगंज आउटर के पास अवैध रूप से रह रहे पटरियों के किनारे लोेग

रेलवे नियमावली में उल्लेख है कि पटरी से पंद्रह मीटर दाएं व बाए अतिक्रमण न हो। हालांकि इंजीनियरिंग शाखा के अभियंताओं का तर्क है कि अलग अलग सेक्शन में जगह की उपलब्धता पर भी यह निर्भर करता है। कभी कभी सिंगल ट्रैक से डबल ट्रैक होने पर जगह कम हो जाती है।

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