उत्तर प्रदेशराज्य

हर मर्ज का एक ही इलाज सि‍र्फ ग्लूकोज की बोतल

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर पहुंचने वाले मरीजों की बदहाली का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर हर मरीज का सिर्फ एक ही इलाज किया जाता है, वह है ग्लूकोज की बोतल। अगर कोई भी गंभीर मरीज यहां पर आता है तो पैरामेडिकल स्टाफ उसे एक ग्लूकोज की बोतल लगा देते हैं। मरीज 48 से लेकर 72 घंटे तक स्ट्रेचर पर ही पड़ा रहता है। ज्यादातर मरीजों को देखने के लिए कोई डॉक्टर नहीं आता है।

 

    लखनऊ ट्रामा सेंटर पहुंचने वाले मरीजों का 48 घंटे बाद ही शुरू हो पाता है इलाज।

मरीजों की मुश्किलें सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो जाती, बल्कि ग्लूकोज की बोतल पकड़ने के लिए भी उनके पास एक तीमारदार का हमेशा मौजूद रहना जरूरी होता है। अगर कोई नहीं है तो मरीज को ग्लूकोज की बोतल खुद ही अपने हाथ से ऊपर टांगे रहना होता है। थक जाने पर बहुत से मरीज ग्लूकोज की बोतल अपने पेट पर ही रख लेते हैं। ग्लूकोज उनके शरीर में पहुंच रहा है या नहीं इससे किसी भी पैरामेडिकल स्टाफ व डॉक्टर को कोई मतलब नहीं होता है।

केस-1: सीतापुर से आए 50 वर्षीय लज्जाराम चार-पांच दिनों पहले छत से गिर गए थे। परिवारजन शनिवार को उन्हें केजीएमयू के ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे। तब से वह सिर्फ ग्लूकोज के सहारे स्ट्रेचर पर पड़े हैं। बोतल पकड़ने के लिए उनका बेटा साथ में खड़ा रहता है। लज्जाराम ने बताया कि बुधवार को दोपहर तक उन्हें किसी ने नहीं देखा और वह स्ट्रेचर पर ही पड़े रहे।

केस-2: लखनऊ के कैसरबाग निवासी शराफत अली का पैर का पहले ऑपरेशन हुआ था। चार दिन पहले वह फिर फिसल कर गिर गए। इससे उनका पैर दोबारा टूट गया। दर्द से कराहते हुए सोमवार को केजीएमयू के ट्रामा सेंटर पहुंचे। पैरामेडिकल स्टाफ बोतल व डिप लगाकर चला गया। उनकी बेटी बोतल पकड़ने के लिए साथ है। शराफ़त ने बताया कि बुधवार तक उन्हें किसी डॉक्टर ने नहीं देखा।

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